हर मन सुख अभिलाषा पृथक -पृथक परिभाषा, हर मन सुख अभिलाषा पृथक -पृथक परिभाषा,
वे साथ थे निस्वार्थ रोने में मैं रोया स्वार्थ रख सीने में! वे साथ थे निस्वार्थ रोने में मैं रोया स्वार्थ रख सीने में!
प्रिय मित्रों की अहम टिप्पणी , देखो क्या रंग लाएंगीII प्रिय मित्रों की अहम टिप्पणी , देखो क्या रंग लाएंगीII
कि अब मर भी जाऊँ तुम्हारे लिए तो वो थोड़ा होगा.... कि अब मर भी जाऊँ तुम्हारे लिए तो वो थोड़ा होगा....
कोमल ह्रदय मेरा है फूलों सा, उस पर दोनों रौब जमाते है। कोमल ह्रदय मेरा है फूलों सा, उस पर दोनों रौब जमाते है।
सच्चा प्यार करने वालों का साथ कभी न छूटे इक दूजे से जीवन में कोई कभी नहीं रूठे सच्चा प्यार करने वालों का साथ कभी न छूटे इक दूजे से जीवन में कोई कभी नहीं रूठ...